The Ailing Planet : The Green Movement’s Role Class 11 Hindi Explanation – Para-1
One cannot………………………preserved.
याद
नहीं आता कि विश्व इतिहास में किसी भी अन्य आन्दोलन ने मानव-जाति की
कल्पना शक्ति को इतनी तीव्रता से व पूर्णत: जकड़ लिया हो जितना कि हरियाली
आन्दोलन ने, जो लगभग पच्चीस वर्ष पहले शुरू हुआ था। 1972 में संसार की पहली
राष्ट्रव्यापी हरियाली पार्टी की स्थापना न्यूजीलैण्ड में हुई थी। उसके
बाद आन्दोलन ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
हम आशा करते हैं कि हमने संसार
के प्रति अपना दृष्टिकोण सदैव के लिए यांत्रिकी से हटाकर सार्विक व
पर्यावरणीय बना लिया है। मानव के ज्ञान में यह बात इतनी ही क्रांतिकारी है,
जितनी कि कॉपरनिक्स ने 16वीं शताब्दी में प्रस्तुत की थी, जिसने हमें
समझाया था कि पृथ्वी तथा अन्य ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं। मानव इतिहास
में पहली बार विश्वव्यापी चेतना बढ़ रही है कि पृथ्वी स्वयं जीती-जागती
अवयवी संघटना है- एक विशाल प्राणी जिसके हम सब अंग हैं। इसकी शारीरिक पोषण
की अपनी आवश्यकताएँ है, व जीवन सम्बन्धी क्रियाएँ हैं, जिनका आदर करना तथा
उन्हें सुरक्षित रखना आवश्यक है।
The Ailing Planet : The Green Movement’s Role Class 11 Hindi Explanation – Para-2
The earth’s………………………would need.
पृथ्वी
के जीवन लक्षण दर्शाते हैं कि रोगी का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है। हमने
इस ग्रह के अच्छे प्रबंधक बनने व भावी पीढ़ियों की धरोहर के उत्तरदायी
निवासी होने के अपने नैतिक कर्तव्यों को समझना शुरू कर दिया।
स्थायी
रखने योग्य विकास का विचार विश्व पर्यावरण तथा विकास आयोग ने 1987 में
लोकप्रिय बनाया था। अपनी रिपोर्ट में उसने इस विचार की परिभाषा इस प्रकार
की थी “ऐसा विकास जो भावी पीढ़ियों की अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की
क्षमता को जोखिम में डाले बिना, आज की आवश्यकताओं को पूरा करता है।”
अर्थात् प्राकृतिक विश्व को उन स्त्रोतों से वंचित किए बिना जिनकी भावी
पीढ़ियों को आवश्यकता होगी।
The Ailing Planet : The Green Movement’s Role Class 11 Hindi Explanation – Para-3
In the………………………environment?”
जाम्बिया के लुसाका चिड़ियाघर में एक पिंजरा है जहाँ लिखा है, “विश्व का सर्वाधिक खतरनाक पशु।” पिंजरे में कोई पशु नहीं है, केवल एक दर्पण है जिसमें आप स्वयं को देखते हैं। विभिन्न देशों में अनेक अभिकरणों की कृपा से विश्व के इस सर्वाधिक खतरनाक पशु में अब नई चेतना उजागर हो गई है। वह समझ गया है कि बुद्धिमत्ता प्रभुत्व जमाने पर आधारित प्रणाली से हटकर भागीदारी पर आधारित प्रणाली अपनाने में है।
वैज्ञानिकों ने लगभग 4 लाख जीवित प्रजातियों की
सूची तैयार की है जिनके साथ मनुष्य इस पृथ्वी को भोग रहा है। उन सूचित
पशुओं की संख्या के अनुमानों में भारी विषमता है। जीवशास्त्रियों के अनुमान
में तीस लाख से एक अरब तक ऐसी प्रजातियाँ हैं जो अपयशि के अंधेरे में तड़प
रही हैं।
ब्रेन्ट आयोग, जिसमें प्रसिद्ध भारतीय मि० एल० के० झा भी
सदस्य थे, उन प्रारम्भिक आयोगों में से था, जिसने अन्य बातों के अतिरिक्त
इकॉलोजी व पर्यावरण के प्रश्नों पर विचार किया। पहली ब्रेन्ट रिपोर्ट में
यह प्रश्न उठाया गया- “क्या हम अपने उत्तराधिकारियों के लिए बढ़ते हुए
मरुस्थल, घटिया क्षेत्र, तथा रोगी पर्यावरण वाला जला-भुना मुँह छोड़कर
जाएँगे?”
The Ailing Planet : The Green Movement’s Role Class 11 Hindi Explanation – Para-4
Mr Lester………………………destruction.
अपनी विचारशील पुस्तक ‘दि ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट’ में मि० लेस्टर आर० ब्राउन ने पृथ्वी की चार मुख्य जैव प्रणालियों की ओर ध्यान दिलाया है- मछली पकड़ना, वन, घास के मैदान तथा फसल की धरती- तथा ये विश्वव्यापी अर्थव्यवस्था के आधार है। हमारे भोजन के अतिरिक्त ये चारों प्रणालियाँ हमारे उद्योगों के लिए लगभग सभी पदार्थों की पूर्ति करती हैं, सिवाय खनिजों के व पेट्रोल से बने कृत्रिम पदार्थों के संसार के बड़े भागों में मनुष्य के इन प्रणालियों पर नियन्त्रण के कारण में प्रणालियाँ स्थायी रहने योग्य नहीं रही। ऐसे बिन्दु पर जहाँ उनकी पैदावार क्षीण हो रही है। जब ऐसा होता है तो मछली उद्योग समाप्त हो जाता है, वन लुप्त हो जाते हैं, घास के मैदान बंजर भूमि में बदल जाते हैं व फसलों की जमीन क्षीण हो जाती है। प्रोटीन-सचेत व प्रोटीन-हीन संसार में उचित मात्रा में अधिक मछलियाँ पकड़ना प्रतिदिन सामान्य होता जा रहा है। निर्धन देशों में भोजन पकाने के लिए ईंधन प्राप्त करने के लिए वनों का विनाश हो रहा है। कुछ स्थानों पर ईंधन इतना महँगा हो गया है कि भोजन से अधिक खर्च भोजन पकाने के ईंधन पर होता है। डॉ० मेयर्स के शब्दों में, क्योंकि उष्ण कटिबंधीय वन क्रमिक विकास के शक्ति स्त्रोत है, उनके नष्ट होने से कई प्रजातियाँ लुप्त होने से जूझ रही हैं।
The Ailing Planet : The Green Movement’s Role Class 11 Hindi Explanation – Para-5
It has………………………a second”.
सच
कहा गया है कि मनुष्य के आने से पहले जंगल होते हैं व उसके जाने के बाद वे
मरुस्थल बन चुके होते हैं। उष्ण कटिबंधीय वनों की हमारी पैतृक सम्पदा
चार-पाँच करोड़ एकड़ हर वर्ष की दर से घट रही है, तथा गोबर को जलाने में
काम लाने का बढ़ता उपयोग पृथ्वी को उसकी प्राकृतिक खाद से वंचित कर रहा है।
विश्व बैंक के अनुसार वर्ष 2000 तक ईंधन की अपेक्षित आवश्यकता को पूरा
करने के लिए पाँच गुना वृक्ष लगाना आवश्यक है।
विश्व स्त्रोत संस्थान के
अध्यक्ष जेम्स स्पेथ ने एक दिन कहा था कि, “हम एक एकड़ वन प्रति सेकेण्ड
खो रहे हैं, लेकिन यह तो डेढ़ एकड़ प्रति सेकेण्ड के आस पास है।”
The Ailing Planet : The Green Movement’s Role Class 11 Hindi Explanation – Para-6
Article 48A………………………statistics.
भारत के संविधान के अनुच्छेद 48A में कहा गया है कि सरकार पर्यावरण की रक्षा और सुधारने का प्रयास करेगी, व देश के वनों और वन्य पशुओं को बचाएगी। लेकिन बहुत दुःख की बात है कि भारत में कानून का न तो आदर होता है और न ही उन्हें लागू किया जाता है। उदाहरण के लिए; संविधान कहता है कि जातिवाद, अस्पृश्यता व बंधुआ मजदूरी समाप्त किए जाएँगे, किन्तु संविधान के लागू होने के चवालिस वर्ष बाद भी वे लज्जाजनक तरीके से फल-फूल रहे हैं। संसद की एक अनुमान कमेटी की एक हाल की रिपोर्ट में पिछले 40 वर्षों में देश के जंगलों की विध्वंस तरीके से क्षति होने की बात को उजागर किया गया है। विश्वसनीय आंकड़ों के अनुसार भारत में 37 लाख एकड़ वन हर वर्ष समाप्त हो रहे हैं। बड़े-बड़े क्षेत्र जिन्हें सरकारी रूप से जंगल बताया गया है वे लगभग वृक्षह्ीन है। वास्तविक हास की दर सरकारी आँकड़ों में बताई गई दर से आठ गुना अधिक है।
The Ailing Planet : The Green Movement’s Role Class 11 Hindi Explanation – Para-7
A three-year………………………continues.
उपग्रहों
व वायुयानों से संयुक्त राष्ट्र द्वारा लिए गए फोटो से पता चलता हैं कि
पर्यावरण इतना बिगड़ चुका है कि जिन 88 देशों की छानबीन की गई, उनमें से
अनेक की स्थिति अति गम्भीर है।
इसमें कोई सन्देह नहीं हो सकता है कि
संसार की बढ़ती जनसंख्या, मानव समाज का भविष्य बिगाड़ने वाला एक बड़ा कारण
है। एक अरब की संख्या पहुँचने में दस लाख वर्ष लगे। इतनी जनसंख्या वर्ष
1800 के आस-पास थी। 1900 के अन्त तक एक अरब और बढ़ गई। और बीसवीं शताब्दी
ने उसमें 3.7 अरब और बढ़ा दी। विश्व की वर्तमान जनसंख्या का अनुमान 5.7 अरब
लगाया गया है। प्रति चार दिन में जनसंख्या दस लाख बढ़ जाती है।
आय
बढ़ने के साथ प्रजनन शक्ति कम होती है, शिक्षा फैलती है व स्वास्थ्य अच्छा
होता है। इसलिए विकास ही सर्वोत्तम गर्भनिरोधक है। लेकिन जब तक वर्तमान
वृद्धि होती रहेगी, तब तक विकास सम्भव नहीं हो सकता है।
The Ailing Planet : The Green Movement’s Role Class 11 Hindi Explanation – Para-8
The rich………………………of parts.
धनी
लोग और धनी बनते हैं, व निर्धन लोग बच्चे पैदा करते हैं जो सदैव निर्धनता
के नर्क में रहते हैं। अधिक बच्चों का अर्थ अधिक कार्यकर्त्ताओं से नहीं
है, केवल अधिक बेकार लोग से है। ऐसा कोई सुझाव नहीं है कि मनुष्यों को पशु
की तरह बन्ध्यकित किया जाए। किन्तु बिना जबरदस्ती किए अपनी इच्छा से परिवार
नियोजन अपनाने का कोई अन्य विकल्प नहीं है। वास्तव में चयन जनसंख्या
नियन्त्रण व लगातार निर्धनता के बीच में है।
भारत की जनसंख्या का अनुमान
92 करोड़ लगाया जाता है, जो अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका को मिलाकर कुल
जनसंख्या से अधिक है। जिसे भारत की परिस्थितियों की जानकारी है, उसमें कोई
सन्देह नहीं कि जब तक जनसंख्या नियन्त्रण को प्राथमिकता नहीं दी जाती, तब
तक भूखी झोपड़-पटि्टियों में आशा नहीं पनप सकती है।
मानव इतिहास में
प्रथम बार हम बढ़ती हुई चिन्ता को देख रहे हैं न केवल लोगों के जिन्दा रहने
की, बल्कि ग्रह के जिन्दा रहने के विषय में। हमने अपने जीवन को सम्पूर्ण
जीवों के दृष्टिकोण से देखना शुरू कर दिया है। पर्यावरण की समस्या आवश्यक
रूप से हमारी मृत्यु का संकेत नहीं बल्कि हमारे भविष्य का प्रवेश-पत्र है।
नए विश्व के उभरते दृष्टिकोण ने उत्तरदायित्व का युग शुरू कर दिया है। यह
सम्पूर्णता का दृष्टिकोण है, पर्यावरण का दृष्टिकोण है, संसार को अखण्ड रूप
में देखना न कि बिना मेल वाले अलग-अलग भागों के समूह के रूप में देखने का
दृष्टिकोण है।
The Ailing Planet : The Green Movement’s Role Class 11 Hindi Explanation – Para-9
Industry has………………………children”.
जिम्मेदारी के इस नए युग में उद्योग की अति महत्त्वपूर्ण भूमिका है। कैसी कायापलट हो जाएगी यदि पोन्ट डू के चेयरमैन मि० एडगर एस० वूर्लड की तरह अन्य व्यापारी भी सोचे। उसने पाँच वर्ष पहले घोषणा की थी कि मैं कम्पनी का मुख्य पर्यावरण अधिकारी हूँ। उसने कहा, “मुख्य उत्पादन कर्त्ता के रूप में हमारा अस्तित्व बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के प्रबन्धन में उत्तम कार्य करना जरूरी है।’”
अपने प्रधानमंत्री के समय में मार्गरेट थैचर ने जितने भी वक्तव्य
दिए उनमें से कोई भी अंग्रेजी भाषा में इतना प्रचलित नहीं हुआ जितना कि
उसके ये रोचक शब्द, “इस धरती पर किसी भी पीढ़ी को स्वामित्व का अधिकार नहीं
है। हम सब अपने जीवन काल के लिए इस पर काश्तकार है व इसको पूर्णत: ठीक
रखना इसका किराया है।” मि० लेस्टर ब्राउन के शब्दों में, “यह धरती हमने
अपने पूर्वजों से उत्तराधिकार में प्राप्त नहीं की, हमने इसे अपने बच्चों
से उधार लिया है।”